ख़बर रफ़्तार, देहरादून : मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य में गर्भवती महिलाओं की समस्याओं को शीर्ष प्राथमिकता पर लिया है। उन्होंने पहली बैठक में स्वास्थ्य विभाग और सभी जिलाधिकारियों के साथ गर्भवती महिलाओं की चुनौतियों और समस्याओं की समीक्षा की। निर्देश दिए, गर्भावस्था व प्रसव के दौरान होने वाली मौत का डेथ ऑडिट का सख्ती से पालन किया जाएगा।
साथ ही गर्भवती महिलाओं को सरकारी योजनाओं के माध्यम से दिए जाने वाले पोषाहार की रेडम सैंपलिंग कर गुणवत्ता की जांच करने को कहा। प्रदेशभर में संचालित 109 डिलीवरी केंद्राें में उपकरणों और मानव संसाधनों की बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए। रतूड़ी ने सभी डीएम को जिलों में होने वाली किसी भी गर्भवती महिला की गर्भावस्था या प्रसव के दौरान मौत का मेटरनल डेथ ऑडिट व्यवस्था का सख्ती से पालन के निर्देश दिए।
- 82 प्रतिशत महिलाओं की प्रसवपूर्व जांच
सभी जिलों से शीघ्र आंकड़े स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध कराकर प्रत्येक मातृ मृत्यु प्रकरण का अलग-अलग अध्ययन किया जाए। उन्होंने सख्त हिदायत दी कि जिला स्तर पर सभी गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण, नियमित प्रसवपूर्व जांच रिकॉर्ड रखा जाए। इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जाए। अफसरों ने बताया, प्रदेश में 82 प्रतिशत महिलाओं की प्रसवपूर्व जांच की जा रही है।
वर्तमान में राज्य में संस्थागत प्रसव 91 प्रतिशत हैं। मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को देखते हुए नर्सिंग अफसरों को प्रशिक्षण देकर दक्ष बनाया जाए। उन्होंने सभी जिलों से डोली पालकी की मांग शीघ्र स्वास्थ्य विभाग को भेजने के निर्देश दिए हैं। बैठक में सचिव डाॅ. आर राजेश कुमार, एचसी सेमवाल, अपर सचिव आनंद श्रीवास्तव मौजूद थे।
- जिलों से मांगी बर्थ वेटिंग होम की जानकारी
सीएस ने सभी डीएम से गर्भवती महिलाओं के लिए बर्थ वेटिंग होम में इस्तेमाल हो रहे वन स्टॉप सेंटर की जानकारी मांगी है। राज्य में हाई रिस्क प्रेगनेंसी के संबंध में वन स्टॉप सेंटर के लिए 76 लाख रुपये बजट का प्रावधान किया गया है। गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य का रिकॉर्ड रखने के लिए जल्द सॉफ्टवेयर तैयार कर सभी जिलों में लागू किया जाएगा। उन्होंने जिलों को हीमोग्लोबिन मीटर की मांग भेजने के निर्देश दिए।
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