यूपी के गाजियाबाद जिले का बदला जाएगा नाम, निगम की मिली मंजूरी; ये तीन नाम सबसे आगे

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खबर रफ़्तार, गाजियाबाद :  उत्तर प्रदेश में जिलों के नाम बदलने का सिलसिला अभी जारी है। अब गाजियाबाद जिले का भी नाम इस सूची में जुड़ गया है। नगर निगम की बोर्ड बैठक में जिले का नाम बदलने के लिए सदन की मंजूरी मिल गई है। इस दौरान सदन में प्रस्ताव पास होने पर भारत माता की जय के नारे लगाए गए।

सदन में एक प्रस्ताव भी पास हो गया है, जहां जनकपुरी इलाके में राम के नाम पर राम पार्क पर मुहर लगी है। वहीं, सद्दीक नगर में स्पोर्ट्स सेंटर बनाने का प्रस्ताव भी पास हो गया है।

पहले भी बदले गए नाम

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद पहले भी शहरों के नाम बदले जा चुके हैं। जिनमें इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया गया और फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या किया गया। अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ रखने की भी चर्चा जारी है।

इसके अलावा मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन किया गया। साथ ही झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन रखा गया।

गाजियाबाद के बारे में

जिले का गठन

14 नवंबर 1976 से पहले गाजियाबाद जिला मेरठ की तहसील थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने 14 नवंबर 1976 को भारत के पहले प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू की जयंती पर गाजियाबाद को जिला के रूप में घोषित किया। जिले का मुख्यालय गाजियाबाद, ग्रैंड ट्रंक रोड पर है, जो हिंडन नदी के एक मील पूर्व में स्थित है।

गाजियाबाद मुख्यालय 19 किमी दिल्ली के पूर्व में और 46 किमी मेरठ के दक्षिण-पश्चिम में सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। अन्य सड़कें उत्तर-पश्चिम से लोनी और बागपत और पूर्व में हापुड़ और गढ़मुक्तेश्वर तक जाती हैं। यहां से दिल्ली, मेरठ, अलीगढ़, बुलंदशहर, मुरादाबाद, लखनऊ और अन्य जिलों के लिए भी कुछ समय के अंतराल पर बसें चलती हैं।

यह उत्तर रेलवे का एक महत्वपूर्ण स्टेशन है, जहां दिल्ली से कलकत्ता, मुरादाबाद और सहारनपुर तक रेल लाइनें मिलती हैं, जो इसे भारत के कई महत्वपूर्ण शहरों से जोड़ती हैं। गाजियाबाद की सीमा दिल्ली से सटी है, इसलिए यह उत्तर प्रदेश के मुख्य प्रवेश द्वार के रूप में गेटवे ऑफ यूपी भी कहा जाता है।

गाजीउद्दीननगर से गाजियाबाद तक

यह माना जाता है कि इस जगह की स्थापना 1740 में वजीर गाजी-उद-दीन द्वारा की गई थी, जिन्होंने इसे गाजीउद्दीननगर कहा था। रेलवे लाइन खुलने के बाद जगह का नाम छोटा कर गाजियाबाद कर दिया गया।

जनपद गाजियाबाद मेरठ मंडल के 6 जिलों और उत्तर प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक जनपदों में से एक है। 14 नवंबर 1976 के पूर्व जनपद गाजियाबाद जनपद मेरठ के अंतर्गत एक तहसील के रूप में जाना जाता था।

मेरठ जिले के 8 विकास खंड रजापुर, मुरादनगर, भोजपुर, हापुड, धौलाना, लोनी, सिंभावली और गढ़मुक्तेश्वर और बुलंदशहर के दो विकास खंड दादरी और बिसरख सहित कुल 10 विकास खंडों के साथ जनपद अपने अस्तित्व में आया था। गाजियाबाद, दादरी, हापुड़ और गढमुक्तेश्वर इसकी पहली चार तहसीलें थीं। बाद में 30 सितंबर, 1989 को मोदीनगर को भी तहसील का दर्जा दे दिया गया।

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औद्योगिक विकास और कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर मई सन 1997 में नोएडा को गौतमबुद्वनगर में समाहित कर दिया गया। इससे गाजियाबाद में मात्र 8 विकास खंड शेष रह गए, जो गाजियाबाद नया जिला बनाते समय मेरठ से काटकर सम्मिलित किए गए थे। गाजियाबाद जिले की दादरी तहसील भी जनपद गौतमबुद्वनगर में सम्मिलित कर ली गई, जिससे यहां मात्र 4 तहसीलें गाजियाबाद, मोदीनगर, हापुड़ और गढ़मुक्तेश्वर रह गई थीं।

27 सितंबर, 2011 को हापुड़ को नया जिला बनाया गया। गाजियाबाद में दो तहसील गाजियाबाद और मोदीनगर तथा चार विकास खण्ड- रजापुर, मुरादनगर, भोजपुर, लोनी शेष रह गए थे। 29 जनवरी 2014 को नई तहसील लोनी का सृजन हुआ है, जिस कारण अब जनपद गाजियाबाद में तीन तहसीलें गाजियाबाद, मोदीनगर एवं लोनी तथा चार विकास खण्ड- रजापुर, मुरादनगर, भोजपुर, लोनी हैं।

 

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