किसान दिवस: ज्यादा मुनाफा देने वाली नकदी फसलों की तरफ बढ़ा नई पीढ़ी का लगाव, पारंपरिक खेती में आया बदलाव

खबरे शेयर करे -

खबर रफ़्तार, देहरादून:  उत्तराखंड में परंपरागत फसलों के उत्पादन और खेती किसानी के तौर तरीकों में बदलाव आया है। कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली नकदी फसलों की तरफ नई पीढ़ी का लगाव बढ़ रहा है। पढ़े लिखे युवा भी खेती किसानी को आजीविका का साधन बना रहे हैं।

कृषि एवं बागवानी आधारित उत्पादों की मार्केटिंग में प्रदेश के कई स्टार्टअप काम कर रहे हैं। प्रदेश में कुल कृषि क्षेत्रफल 6.41 लाख हेक्टेयर है। इसमें 3.28 लाख हेक्टेयर पर्वतीय और 2.93 लाख हेक्टेयर मैदानी क्षेत्र में आता है। राज्य गठन से पहले पर्वतीय भू-भाग वाले उत्तराखंड में किसान परंपरागत मोटे अनाजों की खेती करते थे।

पहाड़ों में बिखरी कृषि जोत होने से खेती पर लागत अधिक होने, जंगली जानवरों और बदंरों की समस्या, सिंचाई का अभाव समेत किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। यही वजह है कि राज्य गठन के बाद प्रदेश में कृषि क्षेत्रफल में कमी आई है। खेती किसानी में मुनाफा कम होने से किसान खेती छोड़ कर पलायन करने लगे।

किसान एरोमा की खेती अपनाने लगे

कृषि विभाग के आंकड़े के मुताबिक, 2001 में परती भूमि (ऐसी बंजर भूमि जिसमें पहले खेती होती थी) 1.07 लाख हेक्टेयर थी। जो 2021 तक बढ़ कर 1.91 लाख हेक्टेयर हो गई है। कृषि क्षेत्र में नए अनुसंधान, आधुनिक तकनीक और प्रदेश सरकार की योजनाओं से पारंपरिक खेती में भी बदलाव आया है। जंगली जानवरों व बंदरों की समस्या से छुटकारा पाने को किसान एरोमा (सगंध पौध) की खेती अपनाने लगे हैं।

किसान सेब, कीवी के नए बगीचे तैयार कर रहे हैं। मशरूम, ड्रेगन फ्रूट, फूलों की खेती तरफ युवाओं का रुझान बढ़ रहा है। कोविड महामारी से लॉकडाउन में देश-विदेश से उत्तराखंड लौटे प्रवासियों ने खेती किसान, डेयरी को आजीविका के रूप में अपनाया है।

ये भी पढ़ें…गृह विभाग के प्रस्ताव पर मुहर, छह नए थानों और 21 चौकियों में तैनात होगा रेगूलर स्टाफ

खेती किसानी एक ऐसा व्यवसाय है, जिसे कम बजट में शुरू किया जा सकता है। जैविक खेती के अलावा एरोमा क्षेत्र में कई युवा काम कर रहे हैं। फूड प्रोसेसिंग में कई स्टार्टअप ने बिजनेस शुरू किया है। जैविक उत्पादों और मोटे अनाजों की आज वैश्विक स्तर पर मांग रही है, जिससे इस क्षेत्र में युवाओं का रुझान बढ़ रहा है। -विनय कुमार, प्रबंध निदेशक, उत्तराखंड जैविक उत्पाद परिषद

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours