शनिवार दोपहर 12 बजे ग्रामीणों ने कॉर्बेट पार्क के ढेला-झिरना पर्यटन जोन को बंद कर वहीं धरना दे दिया। दोपहर दो बजे पर्यटन जोन पर्यटकों के लिए खुलता है लेकिन गेट बंद होने से पर्यटक आधा घंटे तक परेशान रहे है। इसी बीच मौके पर पहुंचे उपनिदेशक दिगांथ नायक, पार्क वार्डन अमित ग्वासीकोटी ने पर्यटकों को दूसरे रास्ते से पर्यटन जोन में जंगल सफारी के लिए भेजा। उपनिदेशक दिनांथ नायक ने ग्रामीणों से वार्ता की।इस बीच कई बार ग्रामीणाें से उनकी तीखी नोंकझोंक भी हुई। उपनिदेशक ने कहा कि हम डीएनए जांच कराकर टाइगर को चिह्नित कर रहे हैं। हैदराबाद से रिपोर्ट आने पर ही आगे की कार्यवाही की जाएगी। ग्रामीणों ने कहा कि सरकार का सक्षम प्रतिनिधि 13 दिसंबर तक हमारी समस्याओं का समाधान करे। 13 दिसंबर तक सरकार ने हमारी समस्याओं का समाधान नहीं किया तो 14 दिसंबर को दिन में 12 बजे से ढेला रेंज ऑफिस के आगे धरना देकर पर्यटकों की आवाजाही पूर्णतः ठप कर दी जाएगी, जिसकी जिम्मेदारी वन प्रशासन व सरकार की होगी। करीब तीन बजे ग्रामीण गेट से हटे और घरों को लौट गए।
प्रदेश में हिसंक हो रहे बाघ, तेंदुए
झिरना गेट पर हुई सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि आज समूचे उत्तराखंड में बाघ, तेंदुए आदि वन्यजीव आम जनता को मार रहे हैं परंतु सरकार जनता की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। उनका यह संघर्ष केवल कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के आसपास के गांव की सुरक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि समूचे उत्तराखंड की जनता की सुरक्षा के लिए है। आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए 10 दिसंबर को दिन में 12 बजे से बाघ के हमले में घायल अंकित के गांव ढेला बैराज पर बैठक भी रखी गई है।