नैनीताल : ढेला गेट पर धमके ग्रामीण, तीन घंटे आवाजाही थमी

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ख़बर रफ़्तार, रामनगर : ढेला गेट के बंद होने से पर्यटक परेशान दिखे। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुड़गांव, मेरठ, गाजियाबाद से आए पर्यटक लोगों के आंदोलन को देख परेशान रहे। दोपहर डेढ़ बजे से पर्यटक ढेला गेट पर पहुंचने शुरू हो गए थे। हालांकि दो बजे पर्यटन गेट खुलता है, ऐसे में जिप्सी में बैठे पर्यटक मायूस दिखाई दिये। ढाई बजे उपनिदेशक ने पर्यटकों को दूसरे रास्ते से पर्यटन जोन में भेजा।
धरना प्रदर्शन में किशोरी लाल, ललित उप्रेती, महेश जोशी, रोहित रोहिला, मुनीष अग्रवाल, ललिता रावत, सरस्वती जोशी,नीमा, विमला, बीना देवी, तुलसी जोशी, अनीता, नीमा बोरा, पुष्पा देवी, कमला देवी, भगवती देवी, राधा देवी, सुनीता देवी, चम्पा देवी, शारदा देवी, पूजा देवी, तुलसी देवी आदि लोग मौजूद थे।
बाघ के हमले में मारी गई पटरानी की महिला के परिजनों को 25 लाख रुपये मुआवजा देने और घायल अंकित के इलाज के संपूर्ण बिलों का भुगतान करने और बाघ को आदमखोर घोषित कर मारने की मांग को लेकर ग्रामीण शनिवार को फिर सड़कों पर उतर आए। उन्होंने कॉर्बेट नेशनल पार्क का ढेला गेट बंद कर पर्यटकों की आवाजाही ठप कर दी। इस बीच कॉर्बेट पार्क के उपनिदेशक की ग्रामीणों से तीखी नोकझोंक भी हुई। हालांकि आधे घंटे के बाद पर्यटकों को दूसरे रास्ते से पर्यटन जोन में भेजा गया।तीन घंटे बाद ग्रामीण गेट से हटे।

शनिवार दोपहर 12 बजे ग्रामीणों ने कॉर्बेट पार्क के ढेला-झिरना पर्यटन जोन को बंद कर वहीं धरना दे दिया। दोपहर दो बजे पर्यटन जोन पर्यटकों के लिए खुलता है लेकिन गेट बंद होने से पर्यटक आधा घंटे तक परेशान रहे है। इसी बीच मौके पर पहुंचे उपनिदेशक दिगांथ नायक, पार्क वार्डन अमित ग्वासीकोटी ने पर्यटकों को दूसरे रास्ते से पर्यटन जोन में जंगल सफारी के लिए भेजा। उपनिदेशक दिनांथ नायक ने ग्रामीणों से वार्ता की।इस बीच कई बार ग्रामीणाें से उनकी तीखी नोंकझोंक भी हुई। उपनिदेशक ने कहा कि हम डीएनए जांच कराकर टाइगर को चिह्नित कर रहे हैं। हैदराबाद से रिपोर्ट आने पर ही आगे की कार्यवाही की जाएगी। ग्रामीणों ने कहा कि सरकार का सक्षम प्रतिनिधि 13 दिसंबर तक हमारी समस्याओं का समाधान करे। 13 दिसंबर तक सरकार ने हमारी समस्याओं का समाधान नहीं किया तो 14 दिसंबर को दिन में 12 बजे से ढेला रेंज ऑफिस के आगे धरना देकर पर्यटकों की आवाजाही पूर्णतः ठप कर दी जाएगी, जिसकी जिम्मेदारी वन प्रशासन व सरकार की होगी। करीब तीन बजे ग्रामीण गेट से हटे और घरों को लौट गए।

प्रदेश में हिसंक हो रहे बाघ, तेंदुए

झिरना गेट पर हुई सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि आज समूचे उत्तराखंड में बाघ, तेंदुए आदि वन्यजीव आम जनता को मार रहे हैं परंतु सरकार जनता की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। उनका यह संघर्ष केवल कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के आसपास के गांव की सुरक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि समूचे उत्तराखंड की जनता की सुरक्षा के लिए है। आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए 10 दिसंबर को दिन में 12 बजे से बाघ के हमले में घायल अंकित के गांव ढेला बैराज पर बैठक भी रखी गई है।

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