
ख़बर रफ़्तार, देहरादून: उत्तराखंड में भाजपा अब अनुसूचित जाति और जनजाति समाज में और अधिक पैठ बनाने को कसरत में जुट गई है। इस कड़ी में पार्टी इन वर्गों के क्षेत्र पंचायत से लेकर लोकसभा व राज्यसभा तक के अपने वर्तमान एवं पूर्व जनप्रतिनिधियों के सम्मेलन की श्रृंखला प्रारंभ करने जा रही है।
इनमें पार्टी के इन मोर्चों के सभी पदाधिकारी भी शामिल होंगे। भाजपा की इस पहल को आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों के दृष्टिगत इन वर्गों का सक्रिय सहयोग लेने से जोड़कर देखा जा रहा है। इनको अपने साथ जोड़कर वह विपक्ष की रणनीति में भी सेंध लगाने की तैयारी में है।
प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य पर नजर दौड़ाएं तो वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से उत्तराखंड में भाजपा अजेय बनी हुई है। लोकसभा के पिछले दो चुनावों में राज्य की सभी पांचों सीटों को अपने पास बरकरार रखे भाजपा के सामने अब अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में हैट्रिक लगाने की चुनौती है।
चुनावी दृष्टि से भाजपा मैदान में उतर चुकी है और इसकी तैयारियों में वह कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोडऩा चाहती। इसी कड़ी में भाजपा ने राज्य में अनुसूचित जाति व जनजाति समाज पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करने का निश्चय किया है।
असल में अनुसूचित जाति व जनजाति समाज भारतीय सभ्यता, संस्कृति व सनातन का अभिन्न अंग है। भाजपा इस बात को लेकर चिंतित है कि आगामी लोकसभा चुनावों के दृष्टिगत विपक्षी दल इन वर्गों को उससे दूर करने की कोशिश न करें। इसे देखते हुए उसने इन वर्गों को लेकर अपनी रणनीति बनाई है। इस क्रम में पार्टी ने अनुसूचित जाति के मंडल स्तरीय सम्मेलनों की घोषणा की है।
गढ़वाल मंडल का सम्मेलन 19 नवंबर को देहरादून में और कुमाऊं मंडल का सम्मेलन 21 नवंबर को हल्द्वानी में होगा। बताया गया कि इन सम्मेलनों में पार्टी के क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत, नगर निगम, नगर पालिका परिषद, नगर पंचायत, विधानसभा और लोकसभा व राज्यसभा के वर्तमान एवं पूर्व जनप्रतिनिधियों के साथ ही पार्टी के अनुसूचित मोर्चा के सभी पदाधिकारी शामिल होंगे।
सम्मेलनों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री एवं प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम, प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट समेत अन्य नेताओं का मार्गदर्शन कार्यकर्ताओं मिलेगा।
पार्टी ने इसी तरह जनजाति सम्मेलन के लिए 20 व 22 नवंबर की तिथि तय की है, लेकिन इनकी तिथि आगे खिसकाई जा सकती है। अनुसूचित जाति व जनजाति के इन सम्मेलन के बाद जिला एवं मंडल स्तर पर भी इसी प्रकार के सम्मेलन होंगे।
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