खबर रफ़्तार, देहरादून: आपदा की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में अब अर्ली वार्निंग सिस्टम मजबूत होगा। इसके लिए राज्यभर में 118 सेंसर लगाने के साथ ही सायरन की व्यवस्था समेत अन्य कई कदम उठाए जाएंगे। चेतावनी तंत्र विकसित होने से आपदा न्यूनीकरण में मदद मिलेगी। इस कड़ी में कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम भी विकसित किया जाएगा।
कैबिनेट ने 148 पदों की स्वीकृति को दी मंजूरी
आपदा प्रबंधन विभाग के अंतर्गत विश्व बैंक सहायतित 200 मिलियन डालर के यू-प्रिपेयर (उत्तराखंड डिजास्टर प्रिपेयर्डनेस एंड रिजिलिंस) प्रोजेक्ट में यह प्रावधान किया गया है। कैबिनेट की एक सितंबर को हुई बैठक में यू-प्रिपेयर प्रोजेक्ट के ढांचे में 148 पदों की स्वीकृति को मंजूरी दे दी गई। इसमें 24 पदों पर तैनाती विभाग अथवा प्रतिनियुक्ति से होगी, जबकि शेष 124 संविदा से भरे जाएंगे।
उत्तराखंड में अब अर्ली वार्निंग सिस्टम होगा मजबूत
बाह्य सहायतित परियोजना के अंतर्गत पांच साल की अवधि के यू-प्रिपेयर प्रोजेक्ट में 80 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार विश्व बैंक के माध्यम से उपलब्ध कराएगी, जबकि 20 प्रतिशत धनराशि राज्य वहन करेगा। इसमें आपदा प्रबंधन के ढांचे को जिला स्तर तक सशक्त करने को कदम उठाने के साथ ही जर्जर पुलों व स्वास्थ्य केंद्रों के भवन, फायर स्टेशन, जंगल की आग जैसे विषय शामिल किए गए हैं।
ये उठाए जाएंगे प्रमुख कदम
अर्ली वार्निंग सिस्टम: आपदा के मद्देनजर चेतावनी तंत्र विकसित करने के लिए आपदा प्रबंधन के साफ्टवेयर को अपडेट किया जाएगा। विभिन्न स्थानों पर सेंसर लगने के साथ ही नदियों के जल स्तर पर नजर रखने को भी उपकरण लगाए जाएंगे। जगह-जगह सायरन लगेंगे, ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में आमजन को सचेत किया जा सके।
कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम: प्रोजेक्ट के अंतर्गत आपदा प्रबंधन के लिए देहरादून में कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम मजबूत करने को एक कक्ष का निर्माण होगा। सभी जिले इससे संबद्ध होंगे। इसके साथ ही जिला स्तर पर भी आपदा कंट्रोल रूम की व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाएगा।
80 से ज्यादा पुल बनेंगे: इस प्रोजेक्ट में लोनिवि के 80 से ज्यादा ऐसे पुल लिए जाएंगे, जो कमजोर हैं या फिर उनमें खामियां हैं। इन पुलों का नए सिरे से निर्माण कराया जाएगा।
सुधरेंगे 80 से ज्यादा जर्जर भवन: स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व उप केंद्रों के ऐसे 80 भवन भी इस प्रोजेक्ट में लिए जाएंगे, जो जर्जर हो चुके हैं। आवश्यकता के हिसाब से ऐसे भवनों की दशा सुधारने को रेट्रोफिटिंग व नवनिर्माण दोनों विकल्प रखे गए हैं।
जंगल की आग की रोकथाम: जंगल की आग एक बड़ी आपदा के रूप में है। इसकी रोकथाम के लिए क्रू-स्टेशनों की स्थापना, उपकरणों की व्यवस्था, मोटर साइकिल अथवा अन्य वाहनों की खरीद इस प्रोजेक्ट के तहत होगी।
सशक्त होंगे फायर स्टेशन: प्रोजेक्ट में 20 से ज्यादा फायर स्टेशन भी लिए जाएंगे। इनमें उपकरणों की कमी दूर करने के साथ ही अन्य कदम उठाए जाएंगे।
प्रशिक्षण केंद्र भी बनेगा: एसडीआरएफ का परिसर जौलीग्रांट में स्थापित हो चुका है। अब वहां इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत प्रशिक्षण केंद्र भी बनाया जाएगा।
 
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                            
 
                 
                                     
                                     
                                     
                             
                                                         
                                
                         
                                                 
                                                 
                                                 
                                                
+ There are no comments
Add yours