बता दें कि बुधवार को एसटीएफ ने देहरादून से दो जाली डॉक्टरों को गिरफ्तार किया था। ये जाली डॉक्टर कर्नाटक की एक यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्री लेकर 10 सालों से रायपुर और प्रेमनगर में प्रैक्टिस कर रहे थे। साथ ही एसटीएफ ने इन्हें डिग्री बेचने वाले एक दलाल इमरान निवासी मुजफ्फरनगर को भी गिरफ्तार किया था। इसके अलावा एसटीएफ ने दावा किया था कि प्रदेश में ऐसे 36 डॉक्टर और हैं, जो फर्जी डिग्रियों के आधार पर अपना धंधा चलाकर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
अंदेशा यह भी है कि इनमें से कई सरकारी सेवाओं में भी हो सकते हैं। एसटीएफ इस मामले में आईएमएसी यानी भारतीय चिकित्सा परिषद के अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है। हालांकि, अभी तक किसी अधिकारी या कर्मचारी के नाम को उजागर नहीं किया गया है। फिलहाल, एसटीएफ का फोकस सभी जाली डाॅक्टरों की गिरफ्तार पर है।
इसके लिए दो दरोगाओं को शामिल करते हुए 11 सदस्यों की टीम बनाई गई है। जल्द ही कुछ और डॉक्टरों को गिरफ्तार किया जा सकता है । बताया जा रहा है कि देहरादून में प्रैक्टिस कर रहे बहुत से डॉक्टरों ने अपने बोर्ड से बीएएमएस हटा दिया है।
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